बैंक पैसा कैसे कमाते है?How do banks make money?

दोस्तों आज के दौर में हर व्यक्ति के पास कम से कम एक बैंक अकाउंट होता ही है। यह अकाउंट हमारे लिए बहुत जरूरी होते है क्योंकि हमारा सारा पैसा यहीं पर सुरक्षित रहता है। आपने तो यह ध्यान दिया होगा की जब आप बैंक में पैसे जमा करते है तो बैंक आपके पैसे पर कुछ ब्याज भी देते हैं। इसका मतलब यह है कि जितना पैसा हमने अपने बैंक में जमा कराया बैंक उससे ज्यादा ही पैसे हमको रिटर्न करता है। 

क्या आपने कभी वैसे भी सोच कर देखा है की बैंक खुद के लिए कैसे पैसा कमाते हैं? आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम यह समझने की कोशिस करेंगे की बैंक का बिजनेस मॉडल क्या है। बैंक आखिरकार पैसे कमाते कैसे हैं?

क्या आपने यह सोच कर देखा है की बैंक आपके पैसे के साथ करते क्या है। कहि ऐसा तो नहीं है की बैंक ने आपसे पैसे लीए और उसको एक बड़े से लॉकर में ले जाकर रख दिए और उसे बंद कर दिया। जिसमें आपका पैसा सुरक्षित रहेगा। ऐसा सिर्फ फिल्म मैं दिखाया जाता है वास्तव में ऐसा नहीं होता। बैंक आपके पैसे का इस्तेमाल दूसरों को लोन देने में करते हैं और उस लोन पर जो उनको इंटरेस्ट यानी कि ब्याज मिलता है,उसके जरिए वे कमाई करते हैं। 

कैसे पैसा कमाता है बैंक?

चलिए एक सिंपल उदाहरण से समझते है की बैंक कैसे पैसा कमाता है। मान लीजिये की आप अपने बैंक में जिसमे आपका अकाउंट है ,में 100 रूपये जमा कराते है। बैंक आपके इस पैसे पर वार्षिक रूप से 4% की ब्याज देता है। मन लीजिये किसी दूसरे व्यक्ति जिसे घर खरीदना है वह बैंक से 100 रूपये की लोन लेता है। बैंक उस दूसरे आदमी को 8%की व्याज पर लोन देगा। अब जब एक साल बाद बैंक को पैसे देने पड़े तो बैंक इंट्रेस्ट सहित आपको 104 रूपये लौटाएगा। वही जो आदमी लोन लिया है उसे बैंक को 108 रूपये देने पड़ेंगे। जिससे बैंक को 4 रूपये की प्रॉफिट होगी। आपको यह अमाउंट कम लग रहा होगा लेकिन यह लेन-देन बहुत बड़े स्तर पड़ होती है जिससे बैंक को बहुत जयादे प्रॉफिट होती है। 

अब आपके मन में यह बिचार जरूर आयी होगी की तब क्या होगा जब लोन लेने वाले आदमी की लोन चुकाने की अवधि पूरी नहीं हुई हो और पहले वाला आदमी अपनी जमा राशि निकालने के लिए बैंक में चला आये तब बैंक पहले आदमी को पैसे कैसे देगा? देखिये ओबियस सी बात है की किसी भी बैंक में केवल एक ही कस्टमर तो होते नहीं है, फिर भी ऐसी नौबत न आ जाये इसीलिए RBI के निर्देशानुशार किसी भी बैंक को कुल जमा राशि का 4% अपने पास कैस के रूप में रखना होता है बैंक इन पैसो का उपयोग लोन देने या अन्य किसी भी तरह के प्रॉफिट कमाने में नहीं उपयोग कर सकता।

 बैंको को पैसे कमाने के कई और भी तरीके है जिनमे से कुछ निचे दिए गए है:-

S.M.S. चार्ज द्वारा

आपको बैंक के तरफ से हमेशा s.m.s. आते रहते होंगे।क्या आपको पता है बैंक इन s.m.s. के बदले भी आपसे कुछ पैसे चार्ज करते हैं। यह चार्ज सभी बैंक नहीं लेते फिर भी बहुत सारे प्राइवेट बैंक यह चार्ज लेते है। यह चार्ज नॉर्मली 25 रूपये तक महीना लगाया जाता है। आपको यह अमाउंट बहुत कम लग रही होगी लेकिन जब यही चार्ज करोड़ो लोगो पर लगता है। तो यह रकम बहुत बड़ी हो जाती है। 

फंड ट्रांसफर चार्ज द्वारा

बैंको द्वारा  NEFT ,  RTGS ,IMPS जैसी सेवाओं के लिए अलग-अलग ट्रांजैक्शन लिमिट सेट की गई है। एक बार ट्रांजेक्शन करने पर बैंक IMPS में 5 रु से लेकर 50 रु तक चार्ज लगते हैं यह केवल एक ट्रांजेक्शन की फीस होती है यानी आप महीने में केवल 5 से 10 ट्रांजैक्शन करते हैं तो आपको 250  से 500 तक चार्ज देना पड़ सकता है।

डेबिट या एटीएम कार्ड पर चार्ज द्वारा

वैसे तो आपको पता ही होगा कि जब हम किसी दूसरे एटीएम में किसी दूसरे बैंक का एटीएम कार्ड लेकर जाते हैं और 1 महीने में 3 से अधिक बार पैसे निकालते हैं तो बैंक उसके लिए भी अलग से चार्ज करता है।यही नहीं बैंक आपसे एटीएम कार्ड की मेंटेनेंस चार्ज भी लेता है।जिसे पुरे एक वर्ष में एक बार आपके खाते से काट लिया जाता हैं।यह चार्ज 100 रूपये से लेकर 500 रूपये तक हो सकता है। कभी भी अगर गलती से आपका कार्ड कहीं खो गया या टूट गया तो एक नया कार्ड बनवाने के लिए भी बैंक आपसे पैसे चार्ज करेगा। 

ई-कॉमर्स बैंकिंग चार्ज द्वारा

 ई-कॉमर्स बैंकिंग आजकल सबसे ज्यादा प्रचलन में है। जब भी आप ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन करते हैं तो बैंक आपसे कुछ रूपये चार्ज करते हैं यह चार्ज 20रु से लेकर 100रु तक हो सकते हैं। आजकल यह चार्ज केवल ई-कॉमर्स वेबसाइट तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि अन्य कई सर्विसेज जैसे आईआरसीटीसी से टिकट बुक करना हो। मोबाइल एप्स के द्वारा पेमेंट करना हो,युपीआई पेमेंट आदि के दौरान भी बैंक आपसे कुछ रुपए चार्ज करता है। 

ट्रांजैक्शन चार्ज द्वारा

 अब तक आपको यह पता चल ही गया होगा कि बैंक कई तरीकों से पैसे कमाते हैं आपने अभी ऊपर देखा कि बैंक एटीएम से पैसा निकालने पर भी कुछ रुपये चार्ज करता है, लेकिन क्या आपको यह पता है की बैंक आपके द्वारा कार्ड को स्वाइप करने पर भी कुछ रूपये चार्ज लगाता हैं। जैसे अगर आप केडिट कार्ड स्वाइप करते हैं तो आपको दो पर्सेंट का एक्स्ट्रा चार्ज लगेगा। इसी तरह अगर आप डेबिट कार्ड से पेमेंट करते हैं तो उस पर भी चार्ज लगता है। कभी-कभी महीने में लिमिट से ज्यादा ट्रांजैक्शन करने पर भी बैंक आपके अकाउंट से कुछ रूपये चार्ज के रूप में काट सकते हैं। जब आप अपने बैंक में कैस जमा करने जाते हैं या अपने बैंक से निकालते हैं तो भी उसका चार्ज आप पर लगता है। ये सभी तरह के चार्ज  कस्टमर हो या रिटेलर सभी को देना ही पड़ता है। 

पिन रिसेट या कार्ड डिक्लाइंड का चार्ज द्वारा

अगर आपको अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड की पिन चेंज करानी है तो भी आपको भी कुछ ना कुछ रूपये चार्ज के रूप में देनी पड़ेगी।यहाँ पर नेट बैंकिंग के पिन की बात नहीं की जा रही है। यहां हम डेबिट या क्रेडिट कार्ड के पिन की बात कर रहे हैं अगर किसी को भी अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड पूरी तरीके से बंद करवाना है,या उसका पिन चेंज करवाना है तो भी आपको कुछ न कुछ चार्ज देना ही पडेगा। 

इसके अलावा भी बैंकों को पैसे कमाने के बहुत से जरिए हैं बैंक आपके डिपॉजिट का कुछ पैसा शेयर मार्केट में शेयर खरीदने के लिए या फंड्स खरीदने करने पर भी लगा सकते हैं। अब तक आपको समझ में आ गया होगा कि बैंक बैंक अपने खुद के लिए पैसे कैसे कमाते हैं? 

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