प्रलय : जल्दी ही सेना में होगा शामिल

भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन आए दिन किसी न किसी मिसाइल या रक्षा हथियारों का परीक्षण करती रहती है। अब DRDO जल्द ही एक नए मिसाइल “प्रलय” का परीक्षण करने वाली है। ये मिसाइल अपने नाम की तरह ही प्रलयकारी होगा जो दुश्मन के होश ठिकाने लगा देगा।   

प्रलय (DRDO) द्वारा विकसित एक कनस्तरीकृत, सतह से सतह और कम दूरी तक मार करने वाली एक बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है।यह भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम और प्रहार मिसाइल से एक्सोएटमॉस्फेरिक इंटरसेप्टर मिसाइल पृथ्वी रक्षा वाहन (पीडीवी) के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों का समामेलन से त्यार की जा रही है। प्रलय मिसाइल को बनने के लिए मार्च 2015 में ₹332.88 करोड़ के बजट के साथ स्वीकृत किया गया था।

हालाँकि इस मिसाइल के कुछ परीक्षण पहले ही किया जा चूका है जो 100% सफल भी हुए थे लेकिन अब इसके फाइनल परीक्षण शुरू होने वाले है। आपको बता दे की आने वाले कुछ ही महीनो के अंदर इसे टेस्ट कर सेना में सम्मिलित कर लिया जायेगा।

आखिर क्यों जरूरत है प्रलय मिसाइल की

अगर फिलहाल की बात करें तो भारत के पास 500 किमी के करीब की दूरी तक लक्ष्य पर हमला करने के लिए एकमात्र मिसाइल ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह मिसाइल विश्व की सबसे अच्छी क्रूज मिससीएल में आता है लेकिन यह केवल  200 किलोग्राम का सीमित पेलोड ले जा सकता है। नतीजतन, भारतीय सेना ने हाल के दिनों में लगभग 500 किमी की सीमा के साथ एक एसआरबीएम की आवश्यकता महसूस की है जो एक बड़ा पेलोड भी ले जा सकता है। 

चीन के Dongfeng 12 (CSS-X-15) से भी घातक होगा प्रलय

प्रलय मिसाइल की तुलना चीन की डोंगफेंग 12 (CSS-X-15) से की जा सकती है। प्रलय एक ठोस ईंधन वाला मिसाइल है जो एक अर्ध-बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करती है और एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल (एबीएम) इंटरसेप्टर को हराने के लिए रीएंट्री व्हीकल (MaRV) का उपयोग करके मध्य-वायु में अपना मार्ग बदल सकता है जिस कारण इसको मर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

प्रलय नई पीढ़ी के मिश्रित प्रणोदक का उपयोग करता है जिस पर K मिसाइल परिवार से उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) ने सामान के विकास चरण के दौरान काम करना शुरू किया था। ठोस ईंधन अत्यधिक कुशल होता है और अग्नि मिसाइल श्रृंखला में प्रयुक्त ईंधन की तुलना में अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। इसका उद्देश्य परिचालन सीमा से कोई समझौता किए बिना भविष्य की मिसाइलों को छोटा करने में मदद करना है

इसके आगे कोई नहीं

प्रलय 350 से 700 किलोग्राम तक वारहेड को 150 से 500 KM तक आसानी से ले जा सकता है। जो रडार और संचार उपकरणों एकदम सटीक रूप से लक्षित कर सकता है। भारत में उपलब्ध अधिकांश शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) रणनीतिक उद्देश्य के हैं जो युद्ध में परमाणु हमले का कर सकते हैं।

 प्रलय मिसाइल को विशेष रूप से अत्यधिक मोबाइल होने और भारतीय सेना की पारंपरिक सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल आवश्यकता को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है।किस कारण इसे इस तरह त्यार किया जा रहा है की इसे एक छोटे से ट्रक में रखकर भी ले जाया जा सके। इसके सभी परिक्षण पुरे होने पर ये प्रलय मिसाइल रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी का हिस्सा बन जाएगी। 

कब हुआ था पहला टेस्ट

प्रलय का पहला परीक्षण 22 दिसंबर 2021 को DRDO ने अब्दुल कलाम द्वीप से किया यह । इसने मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया और उच्च स्तर की सटीकता, मार्गदर्शन प्रणाली और मिशन एल्गोरिदम के साथ अपने लक्ष्य को पूरा किया था।  यह मिसाइल हमला करने के लिए अर्ध बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र का पथ का अनुसरण करता है।