काशी विश्वनाथ धाम

काशी हिंदुओ के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है| क्योकि इसी के हृदय में स्थित है भगवान शिव की मंदिर | जहाँ वास करते है हम सबके प्रिय भगवंत शिव शंकर भोलेनाथ | यह वही काशी विश्वनाथ की मंदिर है जो शिव के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है | ऐसी भी मान्यताये है की जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था तब प्रकाश की पहली किरण काशी की धरती पर ही पड़ी थी | उसी समय से काशी को अध्यात्म और ज्ञान का केंद्र माना जाता हैं | काशी विश्वनाथ की मंदिर गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है | काशी को भारत की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है |

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

बनारस के विश्वनाथ गली में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर कई मंदिरो और पीठों से घिरा हुआ है | काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्याश 8 मार्च 2019 को हुआ था | शिलान्याश के लगभग 2 साल 8 महीनो बाद इस प्रोजेक्ट का लगभग 95 से 98 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है | पुरे कॉरिडोर को लगभग 50000 वर्ग मीटर के एक बड़े परिषर में बनाया गया है |

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की कुछ महत्वपूर्ण बाते

  • काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को मुख्यतः 3 भागो में बाटा गया है | इसमें मंदिर का मुख्य भाग जो लाल बलुआ पथर से बनाया गया है |
  • इसके चारो तरफ प्रदक्षिणा पथ भी बनाया गया है जिस पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए है जिसपर काशी की महिमा का उल्लेख किया है
  • इसमें 4 बड़े-बड़े गेट है |
  • इस पुरे के पुरे कॉरिडोर में 23 इमारते और 27 मंदिर है |
  • धाम की चमक धमक बढ़ानेके लिए यहाँ पर 5000 लाइटे लगायी गयी है जो अलग अलग समय पर अपनी रंग बदलती रहेंगी |
  • इसके आलावा सरस्वती फाटक की तरफ यात्री सुविधा केंद्र 1 और 2 है |
  • इस कॉरिडोर में मंदिर चौक, 3 यात्री सुविधा केंद्र ,मुमुक्षु भवन  4 शॉपिंग काम्प्लेक्स, मल्टीपर्पसे हॉल सिटी म्यूज़ियम, वारणशी गैलरी जैसी कई सुविधाएं भी दी गयी है जिससे यहाँ आने वाले श्रद्धालुओ को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े
  • इस कॉरिडोर के बनने के बाद अब श्रद्धालु गंगा किनारे से भी मंदिर के दर्शन कर सकेंगे |
  • काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण से पहले तक़रीबन 400 मकानों और अनेको लोगो को कही और बसना पड़ा था क्योकि बाबा विश्वनाथ जी की मंदिर बहुत ही घनी आबादी वाली जगह पर है |
  • यहां पर कई और मंदिर भी है जिनको भी अच्छी तरह से बनाकर सवारने का कार्य जारी है |

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

यह मंदिर हजारो सालो से बनारस में है| वर्तमान में जो मंदिर है उसका जीर्णोद्धार महारानी अहिल्याबाई द्वारा सन 1780 में किया गया था | इसके महाराजा रणजीत सिंह मंदिर के शिखर को सोने से 1853 बनवाया था | 1853 के बाद अब फिर से मंदिर को सजाने और सवारने का काम हुआ है |

मंदिर को लेकर अनेको तरह की मान्यताये भी ऐसा मन जाता है की इस पवित्र काशी विश्वनाथ के दर्शन और गंगा स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है | यहीं पर संत एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ श्री एकनाथी भगवत लिख कर पूरा किया था जिसे काशीनरेश जी विद्वत जानो सहित इस ग्रन्थ की हाथी पर शोभायात्रा निकली गयी थी |

यह वही मंदिर है जिसके दर्शनों के लिए आदि शंकराचार्य, संत एकनाथ, राम कृष्ण परमहंश, स्वामी विवेकानंद, महर्षी दयानन्द, गोस्वामी तुलसीदास जैसे महात्माओ का आगमन हुआ था| यहाँ महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरो से भव्य शोभा यात्रा ढोल नगरों के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है | 

अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण हो जाने के बाद पुरे बनारस और मंदिर के दर्शनों को करना आसान हो गया है | यहाँ पर भगवान शिव की चाँदी से निर्मित शिवलिंग है जिसके दर्शनों के लिए लाखो लोग प्रतिवर्ष यहाँ आते है | मंदिर का शिखर सोने से बना है जो पुरे मंदिर की शोभा को और बढ़ा देता है | यही पर एक बहुत प्राचीन कुआ भी है जिसको ज्ञानवापी की संज्ञा दी गयी है