इसरो ने 2 अक्टूबर को यह साफ कर दिया की अब मार्स ऑर्बिटर का हमसे सम्पर्क टूट गया है। मार्स आर्बिटरी मिशन 24 सितम्बर 2014 से कार्यरत था लेकिन उससे अब संपर्क टूट चूका है और वह अंतरिक्ष की गहराइयों में खो चूका है। 

मार्स आर्बिटरी मिशन जिसे मंगलयान या मंगल मिशन के नाम से भी जाना जाता है,  भारत का एक बहुत ही महत्वकांक्षी मिशन है। इस मिशन का उद्देश्य मंगल ग्रह के बाह्य कक्षा में एक सेटेलाइट को स्थापित करना था जो वहा से पुरे ग्रह का निरिक्षण कर सके। लेकिन अब इसरो यह साफ कर दिया की अब मार्स ऑर्बिटर का हमसे सम्पर्क टूट गया है। 

भारत की प्रथम ग्रहो से ग्रहो के मिशन प्रथम मिशन था मार्स आर्बिटरी मिशन 

मंगल मिशन भारत की प्रथम ग्रहो से ग्रहो के मिशन है। भारत ने पहली बार मंगल ग्रह पर कोई मिशन किया था। 24 सितम्बर 2014 को भारत ने पहली बार में ही मंगल ग्रह पर मंगलयान भेजकर एक न्या कीर्तिमान रच दिया था। भारत ने प्रथम प्रयास में ही मंगल ग्रह के कक्षा में सेटेलाइट स्थापित किया था और ऐसा करने वाला एकलौता देश बन गया। अभी तक कोई भी देश प्रथम प्रयास में मंगल पर नहीं पहुंच पाया है। 

एक हॉलीवुड फिल्म से काम लगत में बना था मंगलयान 

आपको बता दे की जितने में मंगलयान बनकर त्यार हुआ था वह एक औसतन हॉलीवुड मूवी से भी कम है। इसका पूरा खर्च लगभग 450 करोड़ के आस पास था। इतने में तो अब मूवी भी नहीं बन पता। लेकिन भारतीय बैज्ञानिको ने यह कमाल इतने कम खर्च में कर दिया। भारत मंगल मिशन को सफलतापूर्वक लांच करके पूरी दुनिआ में ऐसा करने वाला नासा रोसकॉस्मोस और  यूरोपियन यूनियन के बाद चौथा देश बन गया। 

तय समय से 7 साल  से ज्यादे समय तक चला ऑर्बिटर 

मार्स आर्बिटरी मिशन में ऑर्बिटर को 6 महीनो तक कार्य करने के लिए तैयार किया गया था 

लेकिन यह तय समय से 7 साल से ज्यादे समय तक कार्य करता रहा।ऐसा कर इसने पुरे दुनिआ को अचंभित कर रखा था लेकिन अब इसका संपर्क हमसे टूट चूका है। 

मार्स आर्बिटरी मिशन 2 कब लांच होगा 

मार्स आर्बिटरी मिशन 2 कब तक लांच होगा इसके बारे में कोई स्पस्ट जानकारी नहीं है क्युकी इसरो अब गगन यान , चंद्रयान 3 ,और  आदित्य मिशन जैसे मिशनों को प्राथमिकता दे रही है। 

अब दुसरो पर निर्भर रहेगा भारत 

जब तक मार्स आर्बिटरी मिशन 2 लांच नहीं हो जाता तब तक कुछ कार्यो के लिए अब भारत को दुसरे देशो पर निर्भर रहना पड़ेगा। इस समय भारत का कोई भी सैटेलाइट मंगल ग्रह का परिक्रमा नहीं कर रहा है इसलिए भारत को कई दूसरे देशो पर निर्भर रहना पड़ेगा।