
पितृ पक्ष गणेश चतुर्थी के अगले दिन से प्रारम्भ होती है। और इस हैरानी की बात यह है की इस बार पितृ पक्ष इस बार 15 दिनों की न होते हुए 16 दिनों की है।
क्या होता है पितृ पक्ष :-
हिन्दू धर्म में माना गया है की पितृ पक्ष में पितरो को घर में आमंत्रित करके उन्हें याद किया जाता है इस में कुत्ता,गाय ,चींटी ,कौआ तथा अन्य जीवो को खाना खिला कर पुण्य करके और यथाशक्ति दक्षिणा देकर अपने पितरो को आदर देने की परम्परा निभाई जाता है।
पितृ पक्ष 15 की बजाय 16 दिनों की होने की वजह से इस बार 25 सितम्बर को अमावस्या वाले दिन अर्पण तरपन किया जायेगा। इन दिनों में लोग अपने शाम के समय में घर के द्वार पर दीये या मोमबत्ती जला के अपने पितरों को सन्मान देते हैं।
कुंडली में पितृ दोष होने के लक्षण व उपाय
संतान की प्राप्ति न होना ,आर्थिक तंगी का सामना करना ,काम-काज में समस्या आदि पितृ दोष के लक्षण हैं।
अगर आप में भी पितृ दोष के लक्षण दिखाई देते है तो इससे निवारण की कुछ उपाय है। जैसे की अमावस्या के दिन घर पर ब्राह्मणो को बुलाकर भोजन कराना और साथ ही उनको दक्षिणा देकर विदा करना। इसके साथ ही हर वीरवार को पीपल के पेड़ को पानी दें। और इसके साथ ही पितृ पक्ष में कौओं को दाना डालकर आप पितृ दोष से निवारण पा सकते है।
ज्योतिषों का कहना है की अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो इस दोष से निवारण पितृ पूजा करना है।
देवताओं से महत्तवपूर्ण पितरों की पूजा
पितृ पक्ष में पितरो की महत्वता बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं , इन दिनों में पितरो को देवताओ से भी सर्वश्रेस्थ मान जाता है। ज्योतिशो और पंडितो का मानना है की पितृ पक्ष में देवताओं का पूजा पाठ से पहले पितरो की पूजा करना सर्वश्रेस्थ माना गया है।
तीन ऋण और उनके उपाय
शास्त्रों के अनुसार मनुष्य के ऊपर तीन प्रकार के ऋण बताये गए हैं। देवऋण ,ऋषिऋण ,पितृऋण, शास्त्रों के अनुसार इस ऋण से छुटकारा पाने के लिए अपनी उंगली में कुश धारण कर के साथ में टिल ,जौ ,मिश्रित जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से इन ऋणों से छुटकारा पाया जा सकता हैं।
श्राद्ध मृत्यु की तिथि पर करना सही
शाश्त्रो के अनुसार मनुष्य के मृत्यु की तिथि वाले दिन ही श्राद्ध करना चाहिए। इससे पितरो को शान्ति प्रदान होती है।
तिथि अनुसार श्राद्ध के दिन
10 सितंबर : पूर्णिमा
11 सितंबर : प्रतिपदा
12 सितंबर: द्वितीया
13 सितंबर: तृतीया
14 सितंबर : चतुर्थी
15 सितंबर : पंचमी
16 सितंबर : षष्ठी
17 सितंबर : सप्तमी
18 सितंबर : अष्टमी
19 सितंबर : नवमीं
20 सितंबर : दसमीं
21 सितंबर : एकादशी
22 सितंबर : द्वादशी
23 सितंबर : त्रयोदशी
24 सितंबर : चतुर्दशी
25 सितंबर : सर्वपितृ अमावस्या