हिंदी में प्रार्थना पत्र(Prathna Patra ) कैसे लिखें ?

दोस्तों अगर आप नवीँ या दसवीं क्लास के छात्र हैं, तो परीक्षा में आपको (Prathna patra))यानी औपचारिक पत्र, तथा अध्यापक से छुट्टी मांगने के लिए एक औपचारिक पत्र फॉर्मेट में लिखना पड़ता है। अगर आप सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं तो औपचारिक पत्र लेखन हिंदी में औपचारिक पत्र से महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं।  आज हम आपको (format of formal letter in Hindi) यानी औपचारिक पत्र (Prathna patra) फॉरमैट के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। 

औपचारिक पत्र लेखन का प्रयोग हम अपने जीवन में कभी न कभी जरूर करते हैं, चाहे वह विद्यालय में हो या कार्यालय में। औपचारिक पत्र लेखन बहुत महत्वपूर्ण है, चाहे आप अपने विश्वविद्यालय या अपनी कंपनी को एक औपचारिक पत्र प्रस्तुत कर रहे हो, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि इसे सही तरीके से तैयार किया गया है। ताकि यह पाठक पर अच्छा प्रभाव छोड़ सके।

दूरसंचार के साधनों में आज अभूतपूर्व क्रांति हुई है। दूरभाष मोबाइल, इंटरनेट, वॉइस मेल, ईमेल जैसे अनेक साथियों के विकसित हो जाने के कारण हम अपने विचारों को अपने से दूर रहने वाले अन्य स्थान पर बसे मित्रों तथा संबंधित तक पहुंचाते हैं।

फिर भी पत्रों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। क्योंकि किसी भी कार्यालय या विद्यालय में आपको अपने से संबंधित किसी भी कार्य को करवाने के लिए पत्र लिखना बहुत ही आवश्यक है। (formal letter) यानी औपचारिक पत्र और (informal letter)यानी अनौपचारिक पत्र के माध्यम से विचार अनुभूतियों तथा संवेदना को विस्तृत तथा प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।

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औपचारिक पत्र (Prathna Patra) क्या होता है?

औपचारिक पत्र एक प्रकार का ऐसा पत्र है, जो किसी भी चीज के अनुरोध के लिए लिखा जाता है। यह सम्मान के साथ महत्वपूर्ण चीज के लिए एक उच्च स्तर से बात करना पसंद करता है। औपचारिक पत्र उन्हें लिखा जाता है जिससे हमारा कोई निजी संबंध ना हो। व्यवसाय से संबंधित प्रधानाचार्य को लिखे प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र, आदि औपचारिक पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्र की भाषा बहुत ही शिष्टापूर्ण होती है।

इन पत्रों में केवल काम या अपनी समस्या के बारे में ही बात कही जाती है। औपचारिक पत्र लेखन में मुख्य रूप से संदेश सूचना एवं तथ्यों को ही अधिक महत्व दिया जाता है। इसमें संक्षिप्त अर्थात कम शब्दों में केवल काम की बात की जाती है , अर्थात पत्र प्राप्त करने वालों को बात आसानी से समझ आए ऐसी भाषा का प्रयोग करने की उम्मीद की जाती है ,इन सब बातों को एक ही पत्र में कहने की उम्मीद ही की जाती है। 

औपचारिक पत्र (Prathna Patra) के प्रकार

औपचारिक पत्रों के तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

  1. प्रार्थना पत्र –  जब पत्रों में निवेदन अथवा प्रार्थना की जाती है, वह प्रार्थना पत्र कहलाते हैं। प्रार्थना पत्र में अवकाश, शिकायत, सुधार, आवेदन आदि के लिए लिखे गए पत्र आते हैं। यह पत्र स्कूल के प्राचार्य, प्रधानाचार्य से लेकर किसी सरकारी विभाग के अधिकारी को भी लिखे जा सकते हैं।
  2. कार्यालय पत्र – जो पत्र कार्यालय कामकाजों के लिए लिखे जाते हैं, वह कार्यालय पत्र कहलाते हैं।यह सरकारी अफसरों व अधिकारियों, स्कूल और कॉलेज के प्रधानाध्यापक और प्राचार्य को लिखे जाते हैं। इन पत्रों में डाक अधीक्षक, समाचार पत्र के संपादक, परिवहन विभाग, थाना प्रभारी, स्कूल प्रधानाचार्य जी को पत्र लिख सकते हैं।
  3. व्यवसायिक पत्र – व्यवसाय में सामान खरीदने व बेचने अथवा रुपए के लेनदेन के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, उन्हें व्यवसायिक पत्र कहते हैं। इन पत्रों में  दुकानदार, प्रकाशक, व्यापारी और कंपनी आदि को लिखे गए पत्र आते हैं।

औपचारिक पत्र के निम्नलिखित सात अंग होते हैं।

.  सेवा में लिखकर, पत्र प्राप्त करने वाले का  पद नाम तथा पता लिखकर पत्र की शुरुआत करें। 

२. विषय – जिसके बारे में पत्र लिखा जा रहा है उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द – संकेतों में लिखें। 

३. संबोधन -जिसे पत्र लिखा जा रहा है, महोदय-महोदया , माननीय आदि शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें। 

४. विषय-वस्तु– इसे 2 अनुच्छेदों में लिखना चाहिए। 

पहला अनुच्छेद- “सविनय निवेदन यह है कि” से वाक्य  का  आरंभ करना चाहिए। फिर अपनी समस्या के बारे में लिखें.

दूसरा अनुच्छेद- “आपसे विनम्र निवेदन है कि” लिखकर आप उनसे क्या अपेक्षा उम्मीद रखते हैं उसे लिखें.

. हस्ताक्षर व नाम– धन्यवाद या कष्ट के लिए क्षमा जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और अंत में भवदीय प्रार्थी लिखकर अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें। 

६. प्रेषक का पता – शहर का मोहल्ला/ इलाका ,शहर, पिन कोड आदि।

७. दिनांक-अंत में उस दिन का दिनांक लिखे जिस दिन पत्र लिखा जा रहा हो।   

औपचारिक प्रार्थना पत्र (Prathna Patra) कैसे लिखें ?

अपने मोहल्ले की सफाई हेतु स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र।

सेवा में,

          स्वास्थ्य अधिकारी महोदय,

          सिविल लाइंस क्षेत्र, 

          जालंधर,पंजाब। 

विषय- मोहल्ले की सफाई के संबंध में पत्र। 

मान्यवर, 

मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले शिव नगर की सफाई में की जा रही लापरवाही की ओर आकर्षित कराना चाहता हूं। इस मोहल्ले में सफाई कर्मचारी नियमित रूप से नहीं आते हैं। वह सप्ताह में एक या दो बार ही आते हैं और जैसे-तैसे सफाई करके चले जाते हैं। कूड़े  के ढेर जगह जगह छोड़ जाते हैं, इन कूड़ो पर मक्खी, मच्छर अपना बसेरा बना लेते हैं, गाय इनको इधर-उधर बिखर जाती है, जिससे राह चलना मुश्किल हो जाता है। नालियों में पानी रुक कर बदबू फैला रहा है। जिससे हैजा, आंत्रशोथ जैसी कई बीमारियां पैदा होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करते हुए सफाई व्यवस्था को ठीक कराने की कृपया करें। धन्यवाद सहित। 

भवदीय, 

क.ख.ग   

शिव नगर,जालंधर,

दिनांक-

अनौपचारिक पत्र क्या होता है ?

अनौपचारिक पत्र –  जिन लोगों से हमारे व्यक्तिगत संबंध होते हैं, उन्हें हम अनौपचारिक पत्र लिखते हैं। इन पत्रों में व्यक्तिगत अपने मन की अनुभूतियों, भावना, सुख-दुख की बातें आदि का उल्लेख करता है। अतः इन पत्रों को व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता है।

अनौपचारिक पत्राचार-

१. पत्र लेखक का पता- पत्र के सबसे ऊपर बाएं ओर पत्र लेखक को अपना पता लिखना चाहिए, यदि छात्रों को परीक्षा भवन में पत्र लिखने के लिए निर्देश दिए गए हैं तो उन्हें अपना पता ना लिखकर परीक्षा भवन तथा नगर का नाम, जहां परीक्षा हो रही है, लिख देना चाहिए छात्रों को ऐसा कोई भी संकेत नहीं देना चाहिए जिससे उनके बारे में कोई भी जानकारी किसी को भी मिल सके। 

  जैसे- परीक्षा भवन, जालंधर

२. दिनांक- पत्र लेखक को चाहिए कि पता लिखने के बाद ठीक उसके नीचे उस दिन का दिनांक लिखे, जिस दिन को यह पत्र लिखा जा रहा है। जैसे- दिनांक 15 अप्रैल 2021

३. संबोधन- अनौपचारिक पत्रों में संबोधन का विशेष महत्व होता है। क्योंकि पत्र पढ़ने वाला सबसे पहले इसी को पड़ता है। इन संबोधन के माध्यम से पत्र लेखक, पाठक के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है। संबोधन को देखकर ही अनुमान लगाया जा सकता है कि पत्र अपने से छोटे को लिखा गया है यह बड़े को। कितना प्यार या सम्मान व्यक्त किया गया है।

संबोधन कुछ इस प्रकार से किए जाते हैं –

पहला- आदरणीय चाचा जी /मामा जी /भाई साहब जी/ भाभी जी 

दूसरा – प्रिय भाई, मित्र आदि। 

विषय वस्तु या मूल –कथ्य शिष्टाचार सूचक शब्दों के बाद पत्र की मूल विषय वस्तु आती है, इसे पत्र का कथ्य भी कहते हैं। इसके अंतर्गत लेखक व सभी बातें विचार आदि व्यक्त करता है, जिन्हें वह पाठक तक संप्रेषित करना चाहता है। इससे लेखक की अभिव्यक्ति क्षमता भाषा को प्रस्तुत करने का तरीका आदि का पता चलता है। 

समापन निर्देश या स्वनिर्देश -कक्ष की समाप्ति के बाद पत्र के समापन की बारी आती है। पत्र समापन से पहले आत्मीय जनों के विषय में पूछताछ, आदर सम्मान आदि का भावव्यक्त किया जाता है। अंत में स्वदेश के अंतर्गत पत्र लेखक तथा पाठक के मध्य संबंध के आधार पर संबंध सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। 

पत्र लेखक का नाम- स्वदेश के नीचे पत्र लेखक को अपना नाम लिखना चाहिए। परीक्षा भवन में पत्र लिखते समय नाम के स्थान पर क,ख,ग आदि लिख सकते हैं। 

अनौपचारिक पत्र (Prathna patra) कैसे लिखें ?

अपनी बहन को पत्र लिखकर योगासन करने के लिए प्रेरित कीजिए

                                                                                  परीक्षा भवन,

                                                                                  क.ख.ग, 

                                                                                   दिनांक-

प्रिय बहन,

सदा खुश रहो, 

मैं यहां कुशल हूं। आशा है वहां पर भी सब कुशल ही होंगे। अभी-अभी मुझे पिताजी का पत्र प्राप्त हुआ और उनसे घर के सभी समाचार ज्ञात हुए, साथ ही साथ यह भी पता चला कि तुम्हारा स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं है। तुम अपने स्वास्थ्य का ध्यान खुद अच्छे से रखा करो। तुम्हें तो पता ही है कि पहला सुख स्वस्थ शरीर को कहा जाता है, इसके लिए आवश्यक है कि तुम हमेशा योगासन किया करो। भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यस्त रहने के कारण कोई भी स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं देता। योग एक ऐसा माध्यम है जो शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए मैं तुम्हें यही सलाह दूंगा कि तुम नियमित रूप से योग किया करो। जिससे तुम्हारा शरीर चुस्त और फुर्तीला हो जाएगा और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। आशा करता हूं कि तुम मेरी इस सलाह को मानोगी, तथा अपने जीवन में योग का महत्व दोगे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम जल्द ही स्वस्थ हो जाओगे। माता-पिता को प्रणाम और भाई को मेरा प्यार देना। 

 तुम्हारा भाई, 

  आकाश।